सारस्वत जगत का शुभारम्भ कब और क्यों ?
राजस्थान प्रदेश के बीकानेर संभाग मुख्यालय से प्रकाशित 'सारस्वत जगत' (मासिक) का शुभारम्भ जून १९८७ से हुआ। भारत की आजादी के पश्चात् से विभिन्न शहरों से अनेक सारस्वतों बन्धुओं के सामाजिक पत्रिका को प्रकाशित करने के प्रयास किये जो निरन्तर असफल रहे। आखिर असफलताओं के बादलों को हटाने के हमारे प्रयास स्वरूप सारस्वत जगत पत्रिका का उदय हुआ। हमने गहन अध्ययन के पश्चात् जाना कि भारत के सभी सारस्वत छिन्ना-भिन्ना होकर सदियों से देश के कोने-कोने में अपनी अलग-थलग पहचान लिए अपनों की निकटता को आतुर है। इसीलिए हमने सारस्वत समाज की भावी पीढ़ी को सारस्वतों के अतीत के इतिहास का ज्ञान और उनके मन में सारस्वत एकता की भावना जागृत करने तथा सारस्वतों का विचारों का 'सारस्वत जगत' रूपी मंच देकर एक नया सम्बल दिया है।
भारत के सभी प्रांतों के सारस्वतों ने 'सारस्वत जगत' को अपनाया है। हिन्दी भाषी सारस्वतों के अलावा पंजाबी, गुजराती, मराठी, कोंकणी, कन्नाड़, तमिल, तेलगु और अन्य भाषी सारस्वत भी इस हिन्दी भाषा की पत्रिका 'सारस्वत जगत'' के नियमित पाठक है।
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